Rajendra Kumar Tewari

Web Developer,Web Designer, Frontend Developer, Full Stack Developer, Founder

Rajendra Kumar Tewari

Name: Rajendra Kumar Tewari

Profile: Full Stack Developer

Email: from.tewari@gmail.com

Cell: 9810735390

Skill

HTML 55%
CSS3 50%
Bootstrap 50%
PHP 30%
JAVASCRIPT 30%
jQuery 30%
ReactJS, NextJS 10%
Node JS, Express JS, Graph QL 10%
SAP ABAP 12%
VB6 75%
Flutter 15%
Scala 15%
About me

Born on the 12th of December, 1974 in a small village, Agar situated in Almora, Uttrakhand, the struggle started early for me. Being the smallest among four brothers and two sisters I was bought up quite affectionally. I completed my primary education and middle school from a school situated in a nearby village, Bhool Kharwal Gaon. Then did my 9th standard from GIC, Bageshwar, and 10th standard from Khunoli. And I completed my Senior Secondary education from GIC, Someshwar. Then I arrived in Gurugram on 1st December 1994. It was quite a decision as I was not sure that if it was the right decision. The struggle was real in the early days. I did my Graduation from Agra University and CIC from IGNOU. Then I got my MCA degree from MDU Rohtak.

Work experience of over 26 years gives me an upper hand for handling odd situations quite efficiently. Many say that one should recruit freshies instead of 40 years or above people, but one thing that a freshie can't have the experience that we had in all these years.

I believe that a man should never stop learning something That's why I still learn things to catch up with the world. This helps me to complete a variety of projects, as demanded by the client.

A young and relatively small company formed by a group of experience & qualified professional. Giving consultancy services to business to solve their problems with the help of IT. Provide software development & training for different type of domain for businesses.

Services

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Web Design

Web design is the process of planning, conceptualizing, and arranging content intended for the Internet. Modern web design goes beyond how things look to include how things work. Web design is not limited to websites as it includes other uses such as web apps, mobile apps, and user interface design.

Web Development

Web development is the work involved in developing a Web site for the Internet (World Wide Web) or an intranet Web development can range from developing a simple single static page of plain text to complex Web-based Internet applications, electronic businesses, and social network services.

Training

You can become a Web Development specialist without leaving you job. Upskill with us. All inclusive career support, Career mapping and more. Updated Web Development Course in Gurgaon.



Payroll

Payroll is my first project only motive is to enhences the effectiveness and efficiency of the employees for the acheiving organisational objective.

Full Stack Developer

Web designing+PHP development diploma full stack developer 4 months course

Website Designing

Website Designing to complete dynamic website development, SEO, E-Commerce solution and other web applications for the corporates.

450

WORKS COMPLETED

27

YEARS OF EXPERIENCE

150

TOTAL CLIENTS

6

AWARD WON

Blog

Rajesh Tewari (Panchi)

शबाब

इस चढते हुए शबाब में मुझे मत रुलाना
जब अर्थी मेरी उठेगी आंसू ना बहाना
मुस्कुरा के टाल जा रहे हो क्या अदा है तुम्हारी
देख के हम खो गए थे अब क्या खता है तुम्हारी
इस कदर ना तड़पाओ हम पास है तुम्हारे
मदहोश हो गए हम ख्वाबों में तुम्हारे
बेचैन जिंदगी में यह याद बेवफाई
जब हमने तुमको देखा तो आंख मुस्कुराए
लवो से जो हो गया है अब आंख ना मिलाना
इस चढ़ते हुए सबाब में मुझे मत रुलाना


(राजेश तेवाडी (पंछी)

आश

संवेदनाएं मुझको है बताती तु पागल पथिक के पास है
जिसको दर्द में वह सुनाती वह तेरा उपहास है
तकदीर की हवा चली तो दिल का यह एहसास है
यह प्यार का साया नहीं बल्कि पागलपन की निशानी है
जिसको सोच रहा तु अपना यह बर्बाद तेरी जिंदगानी है
दर्द में डूबा ह्रदय किनारे का आभास करता
जिंदगी की उदास लम्हों में बेवफा से क्या आश करता

(राजेश तेवाडी (पंछी)

पंछी

जब कोई पास आया मैं नहीं सोचा एक चांद है
जब आकर सीधे चल दिया वह लम्हे मुझे याद है
वह चांद नहीं एक तारा था
मेरे ही नहीं सब की आंख का प्यारा था
वह मुस्कुरा कर कुछ पूछ रहे थे
हम भी बड़ी भावुकता से उनको देख रहे थे
मदहोश थे दास्तां में कि हमको एक खयाल आया
हमें दुख के सागर में ही नहीं महासागर में भी पंछी को पाया



(राजेश तेवाडी (पंछी)




चिंता

कितनी चिंता है जीवन में रंग रूप की मरुस्थली में सुख का पल भर भी नाम नहीं है मृगतृष्णा के आंचल मन को पल भर भी आराम नहीं है योगी को है योग की चिंता भोगी को है भोग कि चिंता और धनी को धन की चिंता निर्धन को निर्धनता की चिंता सबको है सुख चैन की चिंता, निर्धन को है लाज की चिंता राजा को है राज की चिंता तख्त की चिंता ताज की चिंता कल की चिंता आज की चिंता





दर्द

बरबाद जिंदगी की एक आस है किनारा क्या दास्तां सुनाऊं अपनी है कहां किनारा जिंदगी एक हवा है धोखा वतन है सारा आलम नहीं मिली तो अब और क्या सहारा हाल क्या सुनाऊं दर्द की लगी है बस्ती गम हो गया जो दिल को डूब गई है किस्ती आंसू निकल रहे हैं प्याला एक चमन है बर्बाद जिंदगी में किस्मत को मेरा नमन है आलम मिले दोबारा यह शुक्र अब उसी का रोते हुए जिंदगी में क्या आश अब किसी का



(राजेश तेवाडी (पंछी)

दुख

हर एक नववर्ष की पावन बेला पर देता नववर्ष की बधाई मैं नववर्ष की दुख व्यंजना पर व्यक्त कर रहा हूं दुख की गहराई व्यंजना के घनघोर बादलों का दिखता एक समूह सा इन लम्हों में कोई न किसका लगता मुझे एक प्रतीक सा जब भी क्लांत हरदोई से सोचता है विचार हूं कल्पना के क्लांस समय में हृदय कहता में भी लाचार हूं लिखते लिखते ही पहुंच गया मझधार मैं बह रहा हूं आंसुओं की धार में बहते बहते यह कह रहा हूं कोई अब बचाने वाला है क्या इस बात की अनभिज्ञता को कोई जानने वाला है क्या दुख व्यथा के जाल पर हंसता जब इंसान है कल्पना के प्रतिबिंब पर लगता सबको हैरान है (राजेश तेवाडी (पंछी)




स्मृति

भूला भूला जब मैं तो कल्पना का प्रतिबिंब दिखने लगा मेरे अश्रु जब बहने लगे तभी तेरे लव खुलने लगे एक आलम को समझ कर लम्हों के वह दिन बदल कर आंख भी जब बहने लगा तब भूला भूला में भी लिखने लगा यादों के अंधकार का साथी मिला हृदय भी पिघल करा शुरू से जा मिला अश्कों के व्यंजना पर जब सुनकर हृदय भी रोने लगा तब हाय क्या अनोखी बात है सब हंसते हंसते रो नहीं रखते हैं सब कौन ऐसा जीव है जो सबको है रुलाता सूरत के बादलों से आंसुओं की वर्षा करते करते
(राजेश तेवाडी (पंछी)

किस्मत

ऐ किस्मत के आलम तूने क्या कर दिया लंबे लम्हों के बाद अपना नया घर बना दिया आदमी तो क्या पत्थर को परवाना बना दिया जब भी समय ने तेरा साथ दिया हम लोग तो क्या तूने राम को भी मजबूर किया दोस्तों समय किसी के बाप का नहीं होता इस को बदलने में भी किसी का हाथ नहीं होता हां तो क्या बस न चला पैसों का तो क्या भरोसा करना चाहिए ऐसे का


(राजेश तेवाडी (पंछी)

नववर्ष

ऐ कागज पर बैठे रहे जाकर हाल तुम उन्हें सुनाना नववर्ष की पावन बेला पर खुशियों का संसार सजाना इसको देश से भेज रहा हूं कारण उनको सुनाना आशाओं के पावन बेला पर शबनम तुम नाराज ना होना





(राजेश तेवाडी (पंछी)




ख्वाब

जिंदगी के हर ख्वाब पूरे नहीं होते
जो ख्वाब पूरे हो भी जाते हैं
उससे भी हम संतुष्ट नहीं होते
यूं तो ख्वाब देखना अच्छी बात है
पर सिर्फ देखना यह अच्छी बात नहीं
ख्वाब को पूरा करने का जज्बा रखना पड़ता है
इसे पूरा करने के लिए अंगारों में चलना पड़ता है
बस यह सोच कर बैठ जाते
जिंदगी के हर ख्वाब पूरे नहीं होते
काश यह ना सोचा होता तो
आज हम अधूरे नहीं होते
जैसी परिस्थिति होती है वैसे ढल गए हम
परिस्थिति को कभी अपने हिसाब से नहीं ढाला
अपनों को नाराज कर कभी आगे नहीं बड़े हम
इस दर्द को हमने अपने दी दिल मैं क्यों पाला





कंचन तेवाड़ी

मन

मन तुम धीर धरो इतना ना मसला करो
हर किसी बात पर अपना मन छोटा ना करो
जरूरी तो नहीं जो तुम्हें (मन) अच्छा लगे
वैसा ही हमेसा हो
जो बात तुम्हें भाये ना उसे किनारे कर दिया करो
मनचाहा हर किसी को नहीं मिलता है
मिल भी गया तो फिर भी उसे चैन कहां मिलता है
हर किसी के नसीब में सारी खुशियां नहीं होती
जो खुशियां होती है उनसे भी हमें खुशी नहीं होती
यूं तो उदासी में महफिल भी विरान लगती है
खुश हो मन तो विरान भी महफिल लगती है
तू शिकवा ना कर किसीसे यह किसी का किया नहीं है
पाया तूने वही नहीं है जो तेरे बस में नहीं है






कंचन तेवाड़ी

जिंदगी

जिंदगी जिंदादिली का नाम है तो दिल मुरझाया क्यों है
वक्त की तन्हाइयों में दिल को छुपाया क्यों है
तू तो उड़ना चाहती थी आसमान में
फिर तूने अपने अरमानों को दबाया क्यों हैं
हर जगह खुशियां बिखेरने की चाह रखने वाली
फिर आज अपने ही दिल को रुलाया क्यों है
क्यों चारों तरफ अंधकार नजर आता है तुझे
तूने अपने मन के चिराग को बुझाया क्यों हैं
तूने तो हर समय धैर्य से काम लिया है
फिर आज तेरा यह धैर्य डगमगाया क्यों है
इतना दर्द क्यों लेकर बैठी है अपने मन में
इस दर्द को इतना सर पर चढ़ाया क्यों है
क्यों खयाल अपनी नैया डुबोने का आता है तेरे मन में
लोग कहते हैं खूबसूरत हूं मैं (जिंदिगी)
फिर तूने इसे बेरंग बनाया क्यों है
मुझे जिस ने जिस नजरिए से देखा वही बन गई मैं
बस खुल कर जी ले तू मुझे, रास्ते में इतनी मुश्किल क्यों है
(कंचन तेवाड़ी)